मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें  बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं 
फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़फे 
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं  

किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है 
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है 
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है 
तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है...